कभी सोचा है क्यो बारीश के बाद पेड खिलखिला उठते है? क्यो इन्द्र्धनुष धनुष के आकार का बनता है? तितलियों के पंख इतने रंगीन क्यो होते है? तारे क्यो टिमटिमाते है? ये छोटे-छोटे उत्तेजित पल हर इन्सान की ज़िन्दगी मे आते है, जो उसके देखने का नज़रिया बदल देते है और अधिक जानने की इच्छा जागरुत करते है। इस ब्लॉग के माध्यम से हुम आपको अंतरिक्ष के ह्ज़ारो प्रकाश वर्षो की यात्रा पर ले जाएगे, angstrom के अदृश्य संसार की खोज करेगे, परमाणु के साथ खेलेंगे तथा, सख्याओ की कहानी सुनाएगे।
अंग्रेजी में...

Wednesday, January 27, 2010

सजीव रंग (Live colours)

                                                          

अपने चारो ओर मुझे प्रकृती के हज़ारो रंग नज़र आते हैं, विभन्न प्रकार के हरे रंग की पत्तियाँ , पीले फूल, रंग बिरंगी तितलियाँ, मछलियाँ इत्यादि। मेरे रंगो के संग्रह का कोइ भी रंग कुदरत के रंगो की झलक नही दे सकता।कभी सोचा हैं की कुदरत इतने प्रकार के अदभुत रंग कहाँ से लाती हैं ?
                          इसका जवाब छुपा हैं छोटी-छोटी कोशिकाओ मे (पशु कोशिका: 10µm से 30µm,पादप कोशिका:10µm से 100µm) जिससे पुरा जीव बना हुआ हैं। हर जिवित प्राणी मे उसके हिस्से के रंग उत्पन्न करने वाले कोशिका जिनको ’क्रोमेटोफोर्स’(chromatophores) कह्ते हैं। तो सबसे पहले रंग क्या होते हैं? ये एक विशिषिट् तरंगदैध्य (specific wavelength) की किरणे हैं जो सूर्य की रॊशनी के द्रश्य  वर्णक्रम(visible spectrum ) मे आते हैं (390nm to 780nm)। पिगमेंट(Pigments) वो यौगकि हैं जो एक तरह की तरंग को अवशोशित करती हैं और बाकी को परावर्तित करती हैं, जो हमारी आँखे विशिष्ट रंग के रूप मे देख सकती हैं।
                         सबसे सामान्य पिगमेंट (pigment) हैं ’क्लोरोफिल’(chlorophyll) जो पादप कोशिका के अन्दर ’क्लोरोप्लास्’(chloroplast) मे पायी जाती हैं।क्लोरोफिल ही पत्तियो को हरा रंग देती हैं (सुर्य की रोशनी का लाल और नारंगी रंग को अवशोषित करके)  और प्रकाश संश्लेषण के समय ये सुर्य की रोशनी को कैद करती हैं। अन्य और पिगमेंट हैं केरोटिनोइड्स(carotenoids) जो पीला या नारंगी देते हैं। एन्थोसयानिन(Anthocyanin), जो बैंगनी नीला रंग देते हैं, जो  कि काले अँगूरों का रंग होता हैं और ये पोष्टिकता भी बदाता हैं। पशु कोशिका के बीच, मेलेनिन(Melanin) वो पिगमेंट हैं जो त्व्चा, केश, आँख, पक्षियो के पँख आदि को रंग देता हैं।मेलेनिन(Melanin) गाडा भुरा या काला रंग का होता हैं पर उसकी रासायनिक स्थिती (chemical state) उसको विशेष रंग प्रदान करती हैं ,जैसे की लाल फेओमेलेनिन(pheomelanin)। मेलेनिन पैदा करने वाले कोशिकाओ को ’मेलेनोस्यट’(melanocytes) कहते हैं।ये पराबैंगनी (UV) किरणो (280nm to 400nm) को अवशोषित करते हैं और कोशिका को UV से होने वाले नुकसान से बचाते हैं। बालों का सफ़ेद होना, अलबनिसम(albinism) आदि मेलेनिन के उत्पाद के कम होने से ही होता हैं।
                           ये रंग न केवल इस दुनिया को वास्तविकता देते है बल्कि जीव-जन्तु के विभिन्न जैविक क्रियाओ को पूरा करने के काम भी आते हैं। रंगो मे विभिन्न शोडस इसलिए पाए जातें हैं क्योंकी ये गमेंट  के अलग मिश्रण से उत्पन्न होते है।इसके अलावा पिगमेंट की सांद्रता  में असामान्ता कि वजह से अलग-अलग रंगो का अवशोषण और परावर्तन होता है जिसे हमारी आँखे नये नये रूप मे ग्रहण करती हैं।


मूल लेखक : स्नेहा
अनुवाद : मनिशा

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